About Films
Satya Prakash's POV
बच्चे अग्रगामी होते हैं, रास्ता छोड़ दीजिये
(इक बेजोड़-हँसोड़ वाकया )
मुम्बई में हमने अपनी बिल्डिंग के सोसाइटी के कुछ कर्ता-धर्ता और फॅमिली से फिल्म "दंगल " के बारे में पूछा ! सबने उत्साहवर्धक उत्तर दिया , वाह ! क्या फिल्म है ! उसी लहज़े में, जैसे तबलावादक उस्ताद ज़ाकिर हुसेन साहेब चाय की चुस्की लेकर बोल उठते हैं , " वाह ! ताज़ !!!!!
लेकिन अपने पड़ोसी फिल्म वालों से उसी तरह का व्यवहार करते हैं जैसे कोई अछूत हो ! फिल्म "दंगल" , " सुलतान" ,"दबंग" आदि फिल्मों को देखेंगे ! पांच सौ , सात सौ करोड़ जाकर दे आते हैं लेकिन उनसे थोड़ा हटकर रहते हैं! दिलचस्प बात जो है कि ये लोग फ़िल्मी लोगों के गॉसिप बहुत पढ़ते हैं ! स्मार्ट-फ़ोन पर ग्लैमर पिक्स और विडियो ज़रूर देखते हैं लेकिन अपनी बिल्डिंग में रहते फ़िल्मी लड़की-लड़कियों से अपने बच्चों से दूरियां बनाकर रखते हैं ! !
मेरे यहाँ एक सिने-सेलिब्रिटी बिल्डिंग में आते हैं ! बच्चे तो बच्चे , बूढ़े , युवा -युवती सब उन्हें घेर लेते हैं और उनसे शेक-हैण्ड करते हैं और दे दना दन सेल्फी शुरू ! फिर इनका पाखण्ड तो उसे समय और बढ़ जाता है जब अपनी लड़की को हीरोइन बनाने की टिप्स मांगते हैं ! वे सेलिब्रिटी कलाकार का सेल फ़ोन भी लेते हैं और अनुरोध करते हैं कि उनकी बेटी को फिल्मों में आने में मदद करें !
बच्चों का भविष्य और परिवार की प्रगति अग्रगामी होते हैं जो परिवार की पुरातन सोच, पाखण्ड और लोगों के प्रति दुराग्रह को इक झटके में ख़त्म कर देते हैं !
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