Sunday, January 29, 2017




About Films


Satya Prakash's POV


जातिवादी भारत की कल्पना से काँप उठता हूँ !
फिल्म-निर्माताओं को हर फिल्म बनाने के पहले हिंदुस्तान की हर जाति के संगठनों, सभी धर्मों के धार्मिक संगठनों, सभी प्रान्तों के मुख्यमंत्रियों , सभी पोलिटिकल पार्टियों , छात्र-संगठनों, महिला संगठनों आदि से लिखित सहमति-पत्र लेना चाहिए! इस देश में हर जाति का संगठन है जो देश और राज्यों के राजधानी में महासम्मेलन करते रहते हैं, सत्ता-पक्ष के मंत्री, संतरी और विपक्षी पार्टियों के नेतागण !इसके अतिरिक्त,जितने भी पेशे हैं , उनसे जुड़े लोगों से भी , जैसे डॉक्टर, इंजीनियर , शिक्षक, प्रोफेसर, व्यापारी, आदि संगठनों से सहमति -पत्र लेना चाहिए ! अगर सहमति लेना होगा तो देश फिर एक नहीं है , देश के जनतांत्रिक-व्यवस्थाओं पर हमला सुनियोजित तरीके से हो रहे हैं ! अगर ऐसे जातिवादी भारत की कल्पना है तो इसके प्रति मेरा विरोध दर्ज किया जाए क्योंकि मैं उपरोक्त किसी भी संगठनों से सम्बन्ध नहीं रखता ! मैं जाति, धर्म से परे एक इंसान हूँ !

जय हिन्द !

Infested with caste-ridden India
Film Makers must take permission from the head of caste association of each caste,that of religious head of each religions and their sects, Chief Ministers of all states,, all political parties, student organizations, Woman organizations etc before going into film shoot. All political parties send their representatives or ministers of same caste to the conferences of all castes in the capitals of states and capital of country.
Beside, all the professional trades like doctors, engineers,, teachers, professors, businessman etc must provide consent letters to the film makers before they start filming.
If such consent letters are made mandatory, the democratic institutions are being thwarted by these separatist Hindu militants.
I feel infested with such India that is being constructed on the basis of castes and religions. I register my protest against such unconstitutional attacks. I have nothing to do with such caste-ridden outfits.I am a human-being beyond caste and religion.
Jai Hind.


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