Thursday, November 5, 2015




About Films
Satya Prakash's POV


फिल्म " दो बीघा ज़मीन"- : : भारत के किसानों व मज़दूरों की वास्तविक तस्वीर

बहुत पहले एक फिल्म आयी थी और फिल्म का नाम है " दो बीघा ज़मीन"! बहुत ही मार्मिक और दिल को मथने वाली घटनाओं से गरीब किसान का परिवार गुज़रता है ! संवेदनशील व्यक्ति इस फिल्म के कथानक से यूँ जुड़ता है कि भारत में उदय होता नया गठजोड़ सामंत-पूँजीवाद की भयानक क्रूरता से आवाक रह जाता है !
छोटे-छोटे किसानो की ज़मीन हड़प कर किसान को भूमिहीन, बेघर और शहर की तरफ भगा देता था ! सामजिक-आर्थिक स्थितियों की वजह से मज़बूर होकर शहर जाकर रिक्शा चलाता है ! बूढ़ा बाप पागल हो जाता है ! पत्नी शहर आ जाती है ! बेटा शु-पुलिस करता है ! गावं में उसकी ज़मीन को नीलामी की प्रक्रिया में डालकर ज़मींदार खरीद लेता है और उसपर कारखाना बन जाता है !
शम्भू महतो परिवार के साथ गावं जब आता है तो वहां न उसे अपना घर दीखता है और न ज़मीन ! अवसाद और दर्द से कराहता अपनी ज़मीन की एक मुठ्ठी मिट्टी नहीं मिल पाता है, सिक्योरिटी गॉर्ड उसे भगा देता है ! शम्भू महतो अपने परिवार के साथ महानगर की त्रासद जीवन जीने महानगर की भीड़ में खो जाता है !
ऐसे करोड़ों शम्भू महतो देश के दूसरे प्रांतों से अपनी ज़मीन और घर से बेघर होकर महानगरों में मज़दूर बन कर जी रहे हैं, मर रहे हैं और उनकी ज़मीने कुछ लोगों के पास चली जाती है !
बलराज साहनी के अभिनय में वो कशिश है कि आप रो पड़ेंगे !निरुपा रॉय , मीना कुमारी ,नज़ीर हुसैन आदि ने मर्म-स्पर्शी अभिनय किया है !
महान निर्देशक बिमल रॉय ने भारतीय कृषक समाज की ट्रैजेडी को कथार्सिसि तकनीकी से परदे पर सफलता पूर्वक प्रस्तुत किया है !
१९५५ में बनी ये फिल्म आज के भारत कि भी तस्वीर पेश करती है ! निर्देशक बिमल दा,अभिनेता बलराज साहनी,नाज़िर हुसैन , अभिनेत्री मीना कुमारी , निरुपा रॉय को सल्लम के साथ -साथ श्रद्धांजलि !
नोट : इस देश में "भूमि अधिग्रहण क़ानून" से ज़्यादा ज़रुरत भूमि आवंटन क़ानून " की ज़रुरत है ! भू-माफिया से ज़ब्त सरकारी ज़मीनों को लेकर उनपर विकास का काम करने की ज़रुरत है !

No comments:

Post a Comment