Sunday, December 17, 2017


About Films



Satya Prakash's POV

Protest of the film "PADMAVATI" means victory of BJP in Gujarat 

The release date of the film 'Padmavati' is posponed but Godi media and saffron outfits are contnuously opposing the film as if the pride and glory of Rajputana and Hindutva are in the state of rupture to the level of notoriety.


1. If the pride and glory of Hindutva is Jauhar, it is very much in the film. The mass imolation of woman in order to avoid the capture by enemy troops of victor is called Jauhar.
2. The dance and song of queen Padmavati is pride and glory of Rajsthan. The picturization of Padmavati in dance sequence is so awesome and pious that is not derogatory.
3.The dream sequence of love scene between Delhi Sultanute and Queen Padmavat is cultivated rumour. It is not the part of the film.
4. The film 'Padmavati'is based upon the fictional manifestation of a poet Jayasi. The book is Padmavat and it is written in Awadhi.In order to polarize the Hindu votes against Muslims, the protest of the film has become mandatory.
5. BJP does not take care of the investment,creative writing , direction and production..They are useless in front of caste pride. 

6. BJP and its Hindu vigilante groups go to extent of lynching the people to polarize the votes. So victory may occur at the cost of human life.
7. Art ,literature, Painting, Sculpture and Film are the soft target for politicians to arouse and whip up the sentiment of people to vandalize the creation.
8. The senior journalist Dr.Ved Pratap Vaidik does not find any piece of abuse to queen Padmini, pride and glory of Rajputana.
The protest of the Film 'PADMAVATI' is the victory of BJP in Gujarat. If it happens so , BJP will fund to its Film makers to make such films neaer to election for polarizing votes.




About Films


Satya Prakash's POV

Political brouhaha against the film "Padmavati"is regression of society.


Film 'PADMAVATI' praises and recites pride and valor of Jauhar and Rajputana of Chittorgarh.
Senior journalist and pro BJP intellectual Ved Pratap Vaidik watched the movie and mentioned to the media , not a single scene goes against the pride and valor of Rajputana.Instead ,the film takes the pride to the maximum height of regality.
This is revival of Rajputanism and other castes. Is this Hindu Dharm ? It is fruitful ground for other casteist leaders to polarize their votes against BJP as well.
The upsurge of Rajpoot community will give the way for  upsurges of various  castes that are deterimental to the development of Indian society as a whole.As a result, art, literature,Cinema will also falter.
Period of PM Modi would be authored as Regression period of country.


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Satya Prakash's POV



सिंधिया -थरूर, कांग्रेस-भाजपा और इतिहास-कला
शशि थरूर को फिर से इतिहास पढ़ने को कांग्रेस नेता ज्योतिर्दित्य सिंधिया ने कहा है ! सिंधिया को अपने अतीत राजतन्त्र और उसकी क्रूरता पर अभिमान है ! राजतन्त्र में भी हरम होते थे सिर्फ मुगलों, नबावों के यहाँ ही हरम होते थे , ऐसा नहीं है ! जब एक रजवाड़े का दूसरे रजवाड़े से युद्ध होता था तो विजेता की पैनी निगाह हरम पर ही होती थी क्योंकि औरत राजतन्त्र में पटरानी,रानियों का ज़रूर दर्ज़ा प्राप्त कर लेती थी लेकिन इनकी संख्या सैकड़ो और हज़ारों में होती थी ! राजतन्त्र का विरोध इसीलिए होना चाहिए की औरत गुलामों की ज़िन्दगी गुजरने के लिए अभिशप्त थी लेकिन प्रजाओं के लिए वो महारानी , रानी होती थी और राजा औरत के लिए युद्ध भी करते थे ! हरम में औरत राजाओं के काम-पिपासा के लिए थी लेकिन युद्ध में हारने के बाद ये जौहर कराती थी ! रानी पद्मावती ने भी १२००० औरतों के साथ अग्नि-कुंड में कूद गयी थी ! सती-प्रथा में जैसे पत्नी को मृतक पति के साथ जलना पड़ता था ! औरत सिर्फ पुरुष की भोग्या है ! पुरुष ख़त्म तो उसकी पत्नी को जौहर करा दो , सती बना दो या विधवा बनाकर सारे जीवन वीतरागी बना कर रखो ! कांग्रेस नेता ज्योतिर्दित्य सिंधिया को इतिहास की इस क्रूरता पर गौरव है तो वो अभी तक राजत्व के अवशेष बाहर निकल नहीं पाए हैं ! उन्हें पता नहीं की ये लोकतंत्र है , देश में एक संविधान है ! फिर तो उन्हें अपनी दादी राजमाता सिंधिया और बया मुख्यमंत्री राजे सिंधिया की तरह भाजपा में होना चाहिए ! यूँ भी को ठिकाना नहीं ! दोनों के बीच आदान-प्रदान होते रहते हैं !
इतिहास की इस घटना पर सिंधिया जी का क्या विचार हो सकता है?
संयोगिता और पृथ्वीराज चौहान की प्रेम गाथा के पीछे युद्ध और षड्यंत्र का इतिहास भी है ! कन्नौज के राजा जयचंद्र की सुपुत्री संयोगिता , मोहम्मद गोरी और पृथिवीराज चौहान की कहानी पर करनी सेना और सिंधिया को क्रोध क्यों नहीं आता ? राजा जयचंद संयोगिता और पृथ्वीराज चौहान की शादी न हो ,१७ बार युद्ध हुआ था ! जयचंद ने मोहम्मद गोरी को आमंत्रित किया था ! इसमें जाति मत तलाश कीजिये , इसे सिर्फ प्रेम के लिए युद्ध मानिये ! व्यक्तिरूप से मैं प्रेम को जाति और धर्म के पूर्वाग्रहों से ऊपर मानता हूँ और प्रेम इसीलिए किसी को किसी से हो सकता है ! प्रेम में युद्ध राजतन्त्र में होता था ! लोकतंत्र में प्रेम करने की आज़ादी है लेकिन लोकतंत्र ने अब ऐसा रूप ले लिया है कि ध्रुवीकरण हो जाता है और चुनाव में जीत का रास्ता आसान हो जाता है ! इसीलिए अंतर्जातीय और अंतर-धार्मिक शादियों पर आज राजनीती होती है और लव-जिहाद, घर-वापसी जैसे धार्मिक-अवधारणाओं की रचना हुयी है ! सिंधिया ऐसी ही राजनीती का समर्थन करते दीख रहे हैं और इसीलिए पद्मावती फिल्म के बहाने अपनी ही पार्टी के शिक्षित और विद्वान नेता शशि थरूर पर हमला कर बैठते हैं क्योंकि उनके पक्ष में एक खास जाति का ध्रुवीकरण मध्यप्रदेश के चुनाव में हो सके !कांग्रेस पार्टी पर इसीलिए अब लोगों का विश्वास काम हुआ है ! उत्तर भारत में कांग्रेस अगर उभर कर आएगी भी तो सिर्फ भाजपा के असफल होने से ! मध्यप्रदेश . छत्तीसगढ़ और हरियाणा में कांग्रेस की लौटने की संभावना बनी है लेकिन सिंधिया जैसे नेताओं की वजह से समीकरण बिगड़ भी सकते हैं ! ५-६ प्रतिशत वोट के चक्कर में विशाल जनता का समर्थन खो सकते हैं ! मेरे गावं में इस फिल्म को लेकर बहस चली और बहुसंख्यक ग्रामीण फिल्म के रिलीज़ होने के पक्ष में हैं ! जो जाति इस फिल्म का विरोध कर रही है,उसमें अधिकांश लोगों ने करनी सेना के उबाल के पीछे राजनीति और साज़िश बताया !
कुछ दिन पहले फिल्म " इंदू सरकार" का विरोध कांग्रेस पार्टी कर रही थी ! फिल्म को जब सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट दे दिया तो उसे रिलीज़ होने दीजिये ! विरोध के बावजूद रिलीज़ हुयी लेकिन क्या कांग्रेस की सरकार होती तो ये रिलीज़ हो पाती ? बिलकुल नहीं ! क्योंकि इन्होने पहले भी फिल्म " किस्सा कुर्सी का" और "आंधी " जैसी फिल्म को प्रदर्शित नहीं होने दिया था ! कोई भी पार्टी क्यों नहीं अपनी गलतियों के इतिहास से सबक लेती है ! फिल्म आइना है, आप खुलकर और ठन्डे मन से ज़रूर देखना चाहिए ताकि उन ग़लतिओं से सबक ले सके ! अगर फिल्म अच्छी नहीं है तो उस पर आलेख लिखें, सेमीनार आयोजित करें और बहस करें ! कांग्रेस और भाजपा को बहस से डर रहता है क्योंकि इनके अंदर लोकतंत्र का अभाव है! इसीलिए विरोध और मतभेद को बर्दाश्त नहीं कर पाते ! भाजपा और इसके समर्थन करनेवाले बहुत सारे हिंदूवादी संगठनों में धैर्य तो बिलकुल नहीं है ! भाजपा फिल्म का समर्थन कर रही है लेकिन उनके नेता और मंत्री नहीं ! गुजरात में भाजपा फिल्म पद्मावती के विरोध में है ! उत्तरप्रदेश में मंत्री चेतन चौहान विरोध में खड़े हैं !
हॉलीवुड और जर्मनी में हिटलर के पक्ष-विपक्ष में फिल्म बनी है लेकिन कोई तोड़-फोड़ नहीं क्योंकि वहां वंश की राजनीति ख़त्म हो चुकी है ! कला, साहित्य और सिनेमा का विरोध यूरोप और देश के दूसरे हिस्सों में सेमिनार में बहस के ज़रिये होते हैं !
दुनिया का सारा इतिहास द्वंद्वात्मक और वर्ग की अवधारणा पर आधारित होती है ! राजा का वंश ही राज्य करता था न की उनकी जाति के लोग ! उनकी जाति के लोग भी आम प्रजा या रियाया की तरह ही राजा, रानी, राजकुमार और राजकुमारी को कोर्निश करते होंगे ! उनकी जाति के लोग भी गरीब होते होंगे ! उनकी जाति के लोगों के घरों से भी खूबसूरत लड़किओं को राजा अपनी बहुत साड़ी रानिओं में शामिल करते होंगे क्योंकि वो राजा था क्योंकि उसे इश्वर ने राजा बनाया है ! लेकिन ऐसा नहीं है ! नहीं तो युद्ध कभी नहीं होते !
इसीलिए फिल्म " पद्मवती " का विरोध करनेवाले राजपूत करनी सेना अपने समुदाय के लोगों को जाति -विशेष के नाम पर जो हिंसक बना रहे हैं , उन्हें विवेक रहित कर रहे हैं , उन्हें वोट बैंक बना रहे हैं ! लोकतंत्र को कमज़ोर कर रहे हैं और यही काम कांग्रेस नेता ज्योतिर्दित्य सिंधिया कर रहे हैं !
कला, साहित्य और सिनेमा को रौंदकर प्रधानमंत्री मोदी जी भी देश का सर्वांगीण विकास नहीं कर सकते हैं और साढ़े तीन साल में इन्होने तय कर लिया है कि हमारा विकास गायगोबर, जुमला है ! कांग्रेस की वापसी की संभावना बन तो रही है लेकिन जो भाजपा कर रही है ,कांग्रेस भी वही करेगी तो फिर भाजपा के लिए रास्ता आसान बनेगा ! फिल्म -निर्देशक संजय लीला भंसाली और फिल्म-नायिका दीपिका पादुकोण के सर काटने वाले को करोडो रुपये इनाम देने वालों के साथ अगर कांग्रेस के नेता खड़े दिखेंगे तो कांग्रेस-भाजपाका फ़र्क़ तो ख़त्म ही समझो !
फिल्म " पद्मावती" का रिलीज़ डेट बढ़ गया है , शायद गुजरात चुनाव के बाद होंगे ! अब तो गली-गलौज और तोड़-फोड़ बंद करो मेरे वीरगाथा के रसगंगा में बहनेवालों शूरवीरों !




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मनु से फिल्म " पद्मावती" पर बातचीत 

अभी अभी १७ साल के मनु से बातचीत हुयी ! ग्वालियर का लड़का है ,छात्र है और संजय लीला भंसाली की फिल्म " पद्मावती" के विरोध में वव्हात्सप्प परमेस्सगे भेजा ! बेरोज़गार ग्रुप में मुझे भी डाल दिया है, सच भी है फ्री लांसर तो बेरोज़गार ही होते हैं ! खैर मनु के पोस्ट पर मैंने टिप्पणी कर दी कि पहले फिल्म देखिये ! विरोध का तोड़-फोड़ का रास्ता गलत है ! उसने मेरा नाम पूछा, बता दिया ! मैं इस उम्र के बच्चे का आक्रोश सुनना चाह रहा था !मनु बहुत ही शालीन मिजाज़ का लगा ! उसकी बातों में गुस्सा था ! बहुत सारी बातों को लेकर वो भ्रम में रहा ! जैसे उसने कहा कि रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण के बीच हॉट सन है ! इस फिल्म में तो कतई नहीं है ! अभिनेता रणवीर सिंह ने दीपिकाके साथ हाल में दो-तीन फिल्में कि है जो उनदोनों के बीच के प्रेम-प्रसंग को लेकर रणवीर ने मस्ती में कुछ कह दिया जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया ! दोनों का हॉट सीन फिल्म गोलियों की रासलीला : रामलीला और " बाजीराव मस्तानी" में है ! रणवीर और दीपिका के उस हॉट सीन की बातचीत को संजय लीला भन्साली की पद्मावती" से जोड़ दिया गया है ! इस फिल्म में श्रीलंका की राजकुमारी पद्मावती और चित्तौरगढ़ के राजा रत्नसेन के बीच का प्रेम का चित्रण स्वाभाविक है ! राजा रत्नसेन की भूमिका शाहिद कपूर ने की है ! यहाँ भ्रम उत्पन्न होता है !

फिल्म "पद्मावती" सिर्फ रानी पद्मावती की कहानी है ,उनकी प्रतिष्ठा, उनके राज्य कुल की सारी गरिमा को निर्देशक भंसाली ने फिल्म में बहुत अच्छी तरह से छायांकन किया है ! फिल्म का उच्च-स्तरीय निर्माण चित्तौड़गढ़ के राजमहलों और पोशाकों पर शोधपरक ध्यान रखा गया है ! गहने, जेवरात, झूमर और महलों की दीवारों पर रंग-रोगन और उत्कीर्ण तस्वीरें, संकेत और रात्रिकालीन रौशन की भव्यता का खयाल रखा गया है ! एक-एक चरित्र को ऐतिहासिक परिवेश के इंसानों में पैबस्त करने के लिए निर्देशक भंसाली ने दी-रात एक कर दिया तब जाकर ये फिल्म बनी है ! ये फिल्म मूलतः रानी पद्मावती के इर्द-गिर्द घूमती है ! 
मनु ने सवाल उठाया कि इसमें अलाउद्दीन खिलजी को बड़ा किरदार दिया गया है ! ये भी भ्रम पैदा करता है ! फिल्म " पद्मावती" के तीन मज़बूत किरदार हैं : राजा रत्नसेन ,पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी ! अलाउद्दीन खिलजी इस फिल्म में खलनायक है , नकारात्मक भूमिका में है , विध्वंसक है , रानी पद्मावती कि सुंदरता पर पागल, दीवाना और वहशी था ! दिल्ली सल्तनत ही उसकी ताकत थी और देश के रजवाड़े के साथ उनकी अपनी शर्तों पर दोस्ती थी ! हर राजा अपनी सत्ता के प्रसार के लिएकुछ भी करता है ..मतलब युद्ध की सीमा तक जाताहै और दोनों तरफ से लोगों की हत्या होती है ! अब राजतन्त्र नहीं है तो उसकी फिल्म देखते हैं ! देश में लोकतंत्र है , इसीलिए हम फिल्म बनाते हैं और उसका विरोध भी करते हैं ! "पद्मवती" दो राजाओ के बीच की कहानी है , दो राजतंत्रों की कहानी ! दो राजतन्त्रोंके मर्यादा और पौरुष की चलगाथा है ! रानी "पद्मावती" राजा रत्नसेन की अन्य रानियों के साथ जौहर करती है ! तटस्थ होकर इतिहास को देखना चाहिए और फिर उसकी आलोचना और समालोचना होना चाहिए ! तोड़-फोड़ , अराजकता है ! 
मनु को मैने कहा कि इस फिल्म का नायक-नायिका रत्नसेन और पद्मावती है ! प्रबंध-काव्य "पद्मावत" में राजा रत्नसेन की पहली पत्नी --पटरानी रानी नागमती थी जिसकी विरह-वेदना की मार्मिकता को कविता के काव्य के रचना-विधान में कवि मालिक मोहम्मद जायसी ने बखूबी पिरोया है !

मनु अलाउद्दीन खिल जी के खलनायक होने पर शांत हुए ! आवाज़ में गंभीरता आ गयी थी ! कहा अगर आपने जैसी फिल्म की चर्चा की हैतो फिर विरोध तो नहीं बनता है लेकिन लोग तैयार है कि इसे सिनेमा हॉल में लगने नहीं देंगे.
मैंने कहा कि मनु , अब आप लोगों को समझा सकते हैं !
इस फिल्म को लेकर करनी सेना और कुछ दक्षिणपंथी राजनीतिज्ञों ने अपना हाथ खूब सेंका है !
कला , साहित्य और सिनेमा किसी भी देश का गौरव होते हैं लेकिन हिन्दुस्तान में अब ये उपद्रवी तत्वों के शिकार हो रहे हैं !
मेरे फिल्म के दोस्तों से कहना है कि जब आपलोग मुझे कहते हो , आप फिल्म से ज़्यादा राजनीति पर पोस्ट लिखते हो ! देखो ,आपकी फिल्मों का क्या हाल हो रहा है ? देखा आपने कैसे निर्देशक संजय लीला भंसाली को जयपुर में पीटा और उनके दूसरे सेट महाराष्ट्र में सेट में आग लगा दी ! फिल्म को , आप अपने को देश की राजनीति से अलग नहीं देख सकते ! इसीलिए आप भी आईये और कम से कम अपनी फिल्म ही बचा लीजिये !
मैंने मनु से कम से कम बात तो की !



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Satya Prakash's POV




Protest against violent & distorted protest against film” PADMAVATI”

The protest of the film “PADMAVATI” is bulldozing tower of art and aesthetic as tower of educational centres like JNU,HU,ALLAHABAD UNIVERSITY, BHU were attacked to make the students parrot but establishment failed. The films are being stalled with fierce for various periods of various governments. However, the protest is now designed furiously attacking. In Kota, the activists of Rajput Karni Sena had taken law and order in their hands and vandalized the “Aakash Theatre” because it had screened trailer of film “Padmavati” on the eve of “CHILDREN’S DAY”. This is an anti-national act of the group of certain castes of Rajsthan, vehemently supported by ruling establishment in states and centre in order to polarize votes of certain castes whose sentiment is hurt because of the film “Padmavati” that has exposed the queen PADMAVATI of Chittorgarh. 

The film Maker Sanjay Leela Bhansali has convinced the wounded community in many times that all the respects and reputations of legendary queen “Padmavati “ has been kept intact in the film and maintained the grandeur glory and prosperity of kingdom of Rajputana of Chittorgarh. Surprisingly, a new industry has been set up in lieu of industry for jobs in this country. That is called”Industry of Hurt Sentiment” that is actively volatile. The chemical reaction is so bombarding that it cannot be prevented in the test tube or the laboratory. It blows out beyond the wall to react to the body and respect of great film maker like “Sanjay Leela Bhansali” and his film “Padmavati”. Few days before, a Tamil film had hurt the people of ruling class of this country because it has questioned the “PERCENTAGE OF GST “. But see dear friends, the move of Government on GST is 180 degree because of mounting pressure of business community and people. Now it is now adjusted. So mistakes after mistakes, lies after lies, attacks after attacks ruling establishment inflict upon the people and opposition but it comes to normal by taking protest injection.Bhansali’s film has always been aesthetic and entertaining in a dignified ways. His previous film “ BAJIRAO MASTANI” had also received wrath protest from Maratha community for banning the film in 2015 but film was released and people appreciated and loved to see it. The Marathi people particularly entered the theatres from Mumbai to small town.
The Censor Board of Film Certification has given its approval. Prasoon Joshi is sensitive and creative person, positioned by ruling establishment. Then why do MLA, leaders and activists support the Karni Sena that had attacked and bashed up Sanjay Leela Bhansali in Jaipur and vandalised his set in Maharashtra ? This is the tacit agreement between these two organizations. Police is lukewarm towards such vandalized action of Sena. Above all, Supreme Court had snubbed that it would not intervene in sordid affair of banning the film “Padmavati”.
Ruling class of the country is shaking hand with casteist Karni Sena that has not so far watched the movie despite Bhansali’s repeated invitation. So this is hatched conspiracy against art and aesthetic world we have seen in case of Dalit-writer Kancha Ellaihiya who was attacked for release of his recent book. Few right wing Hindu outfits had killed writers and social workers like Dr.Dhabolkar, Comrade Pansare,Prof.Kulburgi and journalist Gauri Lankesh to shut the mouth against right wing injustice.
Bhansali’s each film is the moving showcase of historical facts aesthetically. His film fetches heavy investment like more than Rs.100 crores. How can he puts controversial elements in the film for invitinting wrath and hostility of community. The vandalism and brouhaha are negative for the investment in the film.He makes film to mint money. He cannot dare to distort the fact. He has consulted the Historians and the epic poetry of Mohmmad Jayasi who had penned this fictional love story in the poetry forms in “PADMAVAT” in Awadhi language and that’s why, it is still popular in the cauldron of human beings. As Tulsidas had jotted down the epic poetry “RAMCHARIT MANAS”in Awadhi”.
However, audiences will pour at theatres to see the movie “Padmavati” and the cine-lovers and writers-directors, actors and all cine-tech persons of Indian Cinema must stand up to support for the successful release of the film.
I wish Mr.Bhansali for grand success of his film “Padmavati”